Gautam Buddha Biography l गौतम बुद्ध का जीवनी

– Gautam Buddha Biography l गौतम बुद्ध का जीवनी –

परिचय (Introduction):- 

गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के लुंबिनी  (कपिलवस्तु के एक जगह का नाम) नामक स्थान पर हुआ था।इन्हे एशिया का ज्योति पुज्ज भी कहा जाता है। इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे। इनकी माता माया देवी की मृत्यु उनके जन्म के सातवें दिन ही हो गई थी, इनका लालन-पालन सौतेली मां प्रजापति गोतमी ने किया था।

बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था, गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) ने गुरु विश्व मित्र के पास वेद (Ved) और उपनिषद तो पढ़े ही, और उन्होंने राजकाज और युद्ध विद्या  की भी शिक्षा ( to education ) ली अपने गुरु से, कुश्ती, गुड़दौड़, तीर-कमान और रथ चलाने (to drive) में कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता था।

गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष (to year)  की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ। तथा उनके पुत्र का नाम राहुल था।

सिद्धार्थ (Siddharth) एक बार जब कपिलवस्तु (Kapilvastu) के सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्य को क्रमशः देखा-

  • बूढ़ा व्यक्ति
  • एक बीमार आदमी
  • एक शव
  • एक संन्यासी

एक समय की बात सिद्धार्थ को जंगल में शिकारी द्वारा तीर से घायल हंस मिला। उन्होंने उसे उठाकर तीर निकला और पानी पिलाया। इस समय सिद्धार्थ का चचेरा भाई देवदत्त वहां आया और कहने लगा कि यह शिकार मेरा है मुझे दे दो, सिद्धार्थ ने हंस देने से मना कर दिया और कहा कि तुम तो इस हंस को मार रहे थे, मैंने इसे बचाए है, अब तुम ही बताओ कि इस पर किसका हक होना चाहिए मारने वाले का या बचाने वाले का?

देवदूत ने राजा शुद्धोधन से इस बात की शिकायत की। राजा ने सिद्धार्थ से कहा कि यह हंस तुम देवदत्त को क्यों नहीं देते? तीर तो उसी ने चलाया था ना?

इस पर सिद्धार्थ ने कहा- पिताजी, यह बताइए कि आकाश में उड़ने वाले इस हंस पर तीर चलाने का उसे क्या अधिकार था? हंसने देवदत्त का कुछ बिगड़ भी नहीं था? फिर भी उसने तीर क्यों चलाया? मुझे इस हंस का दुख देखा नहीं गया। इसलिए मैंने तीर निकल कर इसकी जीवन बचाई।

राजाशुद्धोधन को सिद्धार्थ की बात समझ में आ गई। उन्होंने कहा कि तुम्हारा कहना ठीक है। करने वाले से बड़ा बचाने वाला ही होता है, इस पर तुम्हारा ही हक है।

 

बुद्ध के जीवन से संबंधित बौद्ध धर्म के प्रतीक:- [table id=2 /]

सांसारिक समस्याओं से परेशान होकर सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग किया, जिसे बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण कहा गया है।

गृह त्याग करने के बाद सिद्धार्थ यानी बुद्ध ने वैशाली की आलार कलाम से संख्या दर्शन की शिक्षा ग्रहण की। आलार कलाम सिद्धार्थ के प्रथम गुरु हुए जिससे उन्होंने शून्य का ज्ञान प्राप्त किया था।

राजगीर के रूद्रक्रमपुत् से ज्ञान ग्रहण की, जिससे उन्होंने योग का ज्ञान प्राप्त किया।

गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) को कब और कहां ज्ञान की प्राप्ति हुई?

बिना अन्य-जल ग्रहण किया 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु में वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना नदी के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ।

गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहां दिया था और उसे ग्रंथो में क्या नाम दिया गया?

बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया, जिसे बौद्ध ग्रंथो में धर्मचक्रपरवर्तन कहा गया है।

बुद्ध ने अपना उपदेश किस भाषा में दिया था?

जनसाधारण की भाषा पाली में दिए थे।

गौतम बुद्ध का मृत्यु कहां हुआ था और इसका क्या नाम दिया गया था?

बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर में चूंद द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गई जिसे बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा गया है

बौद्ध धर्म के तथ्य:-
  1. बौद्ध धर्म मूलतः अनीश्वरवादी है। इसमें आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है।
  2. इस धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता भी है।
  3. विश्व दुखों से भरा है” का सिद्धांत बुद्ध ने उपनिषद से लिया

  4. बुद्ध के मानने वाले दो भागों में विभाजित थे: भिक्षुक और उपास
  5. बुद्ध के संगठन में शामिल होने के लिए कम से कम आयु15 वर्ष होनी चाहिए।

बौद्ध धर्म के कितने रत्न थे?

इस धर्म के त्रिरत्न थे:-

  1. बुद्ध
  2. धम्म
  3. संघ

बौद्ध सभाएं:-[table id=4 /]

चतुर्थ बौद्ध संगीत के बाद बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया।

  1. हीनयान
  2. महायान

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