Father of Indian Constitution l भारतीय संविधान के पिता

भारतीय संविधान के पिता:-

डॉ भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का पिता (Father of Indian Constitution) कहा जाता है।

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भारत का संविधान:-

जब देश आजाद हुआ था तब भारत संविधान सभा का गठन हुआ। विधानसभा में कुल 389 सदस्य थे, जिसमें 15 महिलाएं थी। संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर ही थे। उसे समय छुआछूत और जात-पात मानी जाती, फिर भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष बने। कई विशेषताओं के मुताबिक संविधान सभा में बाबा साहेब का चयन उनकी प्रशासनिक दक्षता और राजनीतिक प्रभाव के कारण हुआ।

संविधान सभा में अंबेडकर का पहली बार निर्वाचन बंगाल से तथा देश बंटवारे के बाद उनके निर्वाचन मुंबई से हुआ था।

भारतीय संविधान निर्माण के लिए ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन हुआ जिसके मुखिया भीमराव अंबेडकर  को चुना गया था। उसे समय जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के उद्देश्यों की एक रूपरेखा प्रस्तुत की थी तब एक अन्य सदस्य रहे जयकार ने राय दी, कि किसी भी प्रस्ताव पर मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि के बिना मतदान नहीं किया जा सकता था। इस पर अंबेडकर ने भी पहली बार हस्तक्षेप करते हुए अपनी राय दी। उनकी इस सलाह से बहुत सारे कांग्रेसी नेता प्रभावित हुए थे।

एक साथ कई विषयों के विद्वान थे डॉ आंबेडकर:-

डॉ अंबेडकर साहब उन कुछ लोगों में शामिल हो गए थे जो ड्राफ्टिंग कमेटी का सदस्य होने के साथ-साथ शेष 15 समितियां में एक से अधिक समितियां के सदस्य थे।

भारतीय संविधान को लिखने विभिन्न अनुच्छेदों प्रावधानों के संदर्भ में संविधान सभा में उठने वाले सवालों का जवाब देने विभिन्न विपरीत और कभी-कभी उलट पलट से दिखते प्रावधानों के बीच संतुलन काम करने और संविधान को भारत समाज के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की सबसे प्रभावित और निर्णायक भूमिका थी।

समता, स्वतंत्रता, न्याय, विधि का शासन विधि के समक्ष समानता धर्म जात और लिंग अन्य किसी भेदभाव के बिना सभी व्यक्तियों के लिए अच्छा जीवन भारत संविधान का दर्शन और एवं आदर्श है। यह सब शब्द डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के शब्द और विचार संसार के बीज शब्द है। यही सब विचार और व्यवहार भारत समाज में उतरने के लिए हुए पूरी जिंदगी संघर्ष करते रहे जो कि इसकी छाप भारत संविधान में देखी जा सकती है।

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संविधान पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की छाप कैसी थी?

भारत का संविधान ज्यादातर 1935 के गवर्नर ऑफ इंडिया एक्ट और 1928 के नेहरू रिपोर्ट पर आधारित है। मगर इसको अंतिम रूप देने के पूरे दौर में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का प्रभाव बहुत गहरा था। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारत संविधान की सामर्थ्य एवं सीमाओं अच्छी तरह से जानते थे। इस बारे में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था, कि संविधान का सफल या असफल होना सब कुछ उन लोगों पर निर्भर करेगा जिन पर शासन चलाने का दायित्व है वह इस बात से भी बखूबी जानते थे, कि संविधान ने राजनीतिक सामानता स्थापित कर दी है। लेकिन सामाजिक और आर्थिक समानता हासिल करना बाकी है, जो राजनीतिक समानता को बनाए रखने के लिए भी जरूरी होता है। 

अंबेडकर साहब का संविधान निर्माण में योगदान:-

उनकी भूमिका संविधान सभा की ड्राफ्टिंग को लेकर बहुत मजबूत होती गई। उन्होंने संविधान सभा में चर्चा का संचालन और नेतृत्व किया। अंबेडकर ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों के विषय में संबंधित अनुच्छेदों पर बहस के दौरान अपना नजरिया सबके सामने रखना अच्छा समझा। ड्राफ्टिंग कमेटी अध्यक्ष बाबा साहब ने कई समितियां की ओर से आए सभी लोगों को अनुच्छेदों में सूत्रबद्घ किया था। संविधान की संपादक जिम्मेदारी भी अंबेडकर ने ही उठाई थी। जिसे बाद में ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य रहे टी टी कृष्णमाचारी ने संविधान सभा के सामने रखा था।

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