भारतीय संविधान के स्रोत क्या हैं? (what are the sources of indian constitution)

भारतीय संविधान के स्रोत

संविधान हर एक देश का वह महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जो न केवल उसे देश के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है, बल्कि उस देश की शासन व्यवस्था को भी चलाने में सहायता करता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसे हमारे संविधान निर्माता ने विभिन्न देशों के संविधानों का विस्तृत अध्ययन करके उन संविधानों के बेहतरीन प्रावधानों को अपनाते हुए बनाया है। आज हम इस लेख में संविधान के उन विभिन्न स्रोतों को जानेंगे जींस यह बना हुआ है।

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भारत संविधान के दो प्रमुख स्रोत हैं-

  1. भारतीय स्त्रोत
  2. विदेशी स्रोत

भारतीय स्त्रोत:-

भारतीय संविधान के लागू होने से पहले भारत में भारत शासन अधिनियम 1935 लागू हुआ था। असल में यह अधिनियम भारत में शासन को अच्छे से स्थापित और एक महत्वपूर्ण कदम था। इस अधिनियम में कल 321 धाराएं तथा 10 अनुसूचियां थी। हमारे संविधान निर्माण में इस अधिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है क्योंकि इससे हमने अधिकतर चीजों को लिया है। जैसे-

  1. न्यायपालिका
  2. संघीय सरकार की स्थापना
  3. राज्यपाल का पद
  4. लोक सेवा आयोग
  5. नेहरू रिपोर्ट

विदेशी स्रोत:-

संयुक्त राज्य अमेरिका

  1. प्रस्तावना
  2. मौलिक अधिकार
  3. न्यायिक पुनरावलोकन
  4. संविधान की सर्वोच्चता
  5. न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  6. निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग
  7. उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तिय आपात
  8. उपराष्ट्रपति

ब्रिटेन

  1. सरकार का संसदीय स्वरूप
  2. एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया
  3. कैबिनेट प्रणाली
  4. संसदीय विशेषधिकार
  5. मंत्रिमंडल प्रणाली
  6. विधि का शासन

कनाडा

  1. संघात्मक विशेषताएं
  2. अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास
  3. सर्वोच्च न्यायालय का सलाहकार क्षेत्राधिकार
  4. सरकार का एक अर्थ संघीय रूप

आयरलैंड

  1. राज्य नीति-निर्देशक सिद्धांत
  2. राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल की व्यवस्था
  3. राज्यसभा के 12 सदस्यों का नामांकन

आस्ट्रेलिया

  1. समवर्ती सूची
  2. संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठा
  3. व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता

जर्मनी

  1. आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन

दक्षिण अफ्रीका

  1. संविधान संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान
  2. राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन

रूस

  1. मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान

जापान

  1. विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया

फ्रांस

  1. प्रस्तावना में गणतंत्र, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व

यह भी पढ़े:- भारतीय संविधान की प्रस्तावना 

प्रस्तावना का स्रोत उद्देश्य प्रस्ताव-

  1. 13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था, जिसने संविधान की दार्शनिक संरचना को निर्धारित कर दिया था।
  2. नेहरू ने भारत के संविधान को तैयार करने की आकांक्षाओं और मूल्यों को समझाया।
  3. उद्देश्य प्रस्ताव को 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था।

उद्देश्य प्रस्ताव भारतीय संविधान की आज प्रस्तावना का आधार है। जिन से समानता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, संप्रभुता और सर्वदेशीय पहचान के आवश्यक मूल्यों को संस्थागत रूप दिया गया।

और भी पढ़े:-

1935 ई. का भारत शासन अधिनियम

यह साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर आधारित था। 1935 ई के अधिनियम में 321 अनुच्छेद और 10 अनुसूचियां थी इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएं:-

  1. अखिल भारतीय संघ:- यह संघ 11 ब्रिटिश प्रांतों, 6 चीफ के कमिश्नर के क्षेत्र और उन देशी रियासतों से मिलकर बनाना था, जो समीक्षा से संघ में सम्मिलित हों। प्रति के लिए संघ में सम्मिलित होना जरूरी था। किंतु देसी रियासतों के लिए यह इच्छिक था।
  2. प्रांतीय स्वायत्तता:-इस अधिनियम के द्वारा प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था का खात्मा कर दिया गया, उन्हें एक स्वतंत्र और स्वशासित संवैधानिक प्रदान किया गया था।
  3. केंद्र में द्वैध शासन की स्थापना:-इस अधिनियम में विधायक शक्तियों के केंद्र और प्रांतीय विधान मंडलों के बीच विभाजित किया गया था। परिसंघ सूची, प्रांतीय सूची एवं समवर्ती सूची थे।

परिसंघ सूची के विषयों पर प्रसंग विधानमंडल को विधान बनाने की बहुत शक्ति थी। इस सूची में करेंसी और मुद्रा नौसेना, वायु सेना, जनगणना जैसे विषय थे।

प्रांतीय सूची के विषयों पर पार्टी विधान मंडलों की बहुत शक्ति थी। इस सूची में वर्णित विषयों पर प्रांतीय विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार था। पुलिस, प्रांतीय लोक सेवा और शिक्षा इसकी विषय थी।

समवर्ती सूची के विषयों पर प्रसंग एवं पार्टी विधान मंडल दोनों विधान बनाने के लिए समक्ष थे। इसकी कुछ विषय इस प्रकार हैं-

दंड विधि और प्रक्रिया, सिविल प्रक्रिया, विवाह एवं विवाह विच्छेद

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