प्राचीन भारतीय इस देश को जम्बूद्वीप, अर्थात् जम्बू (जामुन) वृक्षों का द्वीप कहा करते थे।
प्राचीन ईरान के लोग इसे सिंधु नदी के नाम से जोड़ते थे, वे इसे सिंधु न कहकर हिंदू का नाम देते थे।
यूनानी भारत को इंदे और अरब के लोग इसे हिन्द कहने लगे। मध्यकाल में भारत को हिंदुस्तान कहा जाने लगा। हिंदुस्तान शब्द भी फारसी शब्द “हिन्दू” से ही बना है। यूनानी भाषा के “इंदे” के आधार पर ब्रिटिश इसे INDIA कहने लगे।
भारत का इतिहास आसान बनाने के लिए तीन भागों में बाटा गया है-
1- प्राचीन भारत
2- मध्यकालीन भारत
3- आधुनिक भारत
नोट- सबसे पहले इतिहास को तीन भागों में बाटने वाले जर्मन इतिहास कार क्रिस्टोफ सेलियरस थे।
प्राचीन भारत (INDIAN ANCIANT)
1- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे में जानकारी चार जगहों से प्राप्त होती है-
- धर्मग्रंथ
- ऐतिहासिक ग्रंथ
- विदेशियों का विवरण
- पुरातत्व से संबंधी साक्ष्य।
धर्मग्रंथ से मिलने वाले महत्वपूर्ण ज्ञान
भारत का इतिहास का सबसे पुराना ग्रंथ वेद है, जिसके संकलन कर्ता महर्षि कृष्ण वेदव्यास को कहा जाता है।
वेद चार हैं-
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्वेद
ऋग्वेद :-
ऋचाओ के क्रमबद्ध ज्ञान के समूह को ऋग्वेद कहा जाता है। इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त एव 10,462 ऋचायें होती हैं। ऋग्वेद के ऋचाओं के पढ़ने वाले को होत्र कहा जाता है। ऋग्वेद से आर्य के राजनीतिक प्रणाली , इतिहास एवं ईश्वर के बारे में पता चलता है।
ऋग्वेद के रचियता विश्वा मित्र जी हैं, ऋग्वेद के 9 वें मंडल में देवता सोम को बताया गया है।
यजुर्वेद:-
सस्वर पाठ के लिए मंत्र तथा बलि के लिए नियमों का संकलन को यजुर्वेद कहते हैं और जो इसे पढ़ता है उसे अध्वर्यु कहते हैं।
इसमें बलि के बारे में बताया गया है।
यह वेद गद्य और पद्य दोनो में है।
सामवेद :-
साम का शब्दों में अर्थ है “गान”। सामवेद को भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है।
अथर्वेद:-
अथर्वेद में कुल 731 मंत्र तथा 6000 पद्य हैं और इसके रचीयता ऋषि हैं।
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धन्यवाद
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